24GhontaLive संवाददाता / राजीव गुप्ता/ बैरकपुर / 14 मार्च:
पिछले लोकसभा चुनाव में पूरे देश में चर्चित था बैरकपुर लोक सभा। इस बार भी यह लोकसभा अंचल के सातों विधानसभा पर नजर है पूरे बंगाल की। इसी लोकसभा के अंतर्गत भाजपा के केंद्रीय सह सभापति मुकुल राय का निवास तथा बंगाल भाजपा के साह सभापति अर्जुन सिंह का भी गढ़ है। अतः यहां के सभी सीटो पर कांटे की टक्कर होने का अंदेशा है ।
आज घोषणा होने जा रहा है भाजपा उम्मीदवारों की सूचि। राज्य में बाकि सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की सूचि पहले ही जारी कर दिया है, जबकि भाजपा ने भी पहले चरण में होने वाले चुनाव के 57 उम्मीदवारों की सूचि जारी कर दिया था। लेकिन काफी मंथन के बाद आज भाजपा अपने बाकि सभी जगहों पर तय उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी करने जा रही है। हलाकि सूचि जारी करने में देर कर रही भाजपा के बारे में बिरोधियों का कहना है की BJP के पास 294 सीटों पे लड़ने के लिए उमीदवार ही नहीं मिल रहे है।
जबकि भाजपा का कहना है की हर सीट पर उमीदवारी के लिए कई कई लोग क़तार में हैं। सुनने में आ रहा है की बंगाल भाजपा के आला नेताओं से हर सीट के लिए ३ / ३ उम्मीदवारों के नाम मांगे थे। जिसे राज्य भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति को उपलब्ध करा चुकी है। अब आज देखना है की क्या रहता है केंद्रीय समिति का निर्णय।
बंगाल में इसबार लड़ाई मुख्य रूप से भाजपा और तृणमूल के बिच में ही माना जा रहा है। सुनने में यह भी आ रहा है की भाजपा कुछ बड़े कलाकारों को भी मैदान में उतरना चाहती है। हम नज़र डाल रहे हैं बैरकपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले सभी सीटों पर।
यहाँ बीजपुर में तृणमूल से अर्जुन सिंह को सीधे टक्कर देने वाले दबंग सुबोध अधिकारी उमीदवार हैं। सुबोध अधिकारी लोकसभा चुनाव में भाजपा के तरफ से ही लड़ाई के मैदान में थे और भाजपा की जीत हुई थी तथा शुभ्रांशु राय तृणमूल में थे और बीजपुर से तृणमूल पीछे थी।
दूसरे ओर 2 बार के तृणमूल के टिकट से बिधायक रहे शुभ्रांशु राय लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषणा के दिन यानि 23 मई 2019 को भाजपा ज्वाइन कर लिए थे। वर्तमान में शुभ्रांशु राय भाजपा युवा मोर्चा के राज्य कमिटी के सदस्य भी हैं। अब भाजपा केन्द्रीय सहसभापति मुकुलपुत्र जो की एक उच्च शिक्षाप्राप्त युवा हैं, एवं टिकट पाने के प्रबल दाबेदारों में से एक हैं।
अगर भाजपा को यहाँ से किसी बड़े सेलिब्रिटी को टिकट न देना हो
तो फिर शुभ्रांशु ही यहाँ से उम्मीदवार होंगे।
नैहाटी की बात करें तो यहाँ से तृणमूल के मुख्य पात्र व 2 बार के विधायक फिर से मैदान में हैं ।
अतः यहाँ से भाजपा दिनेश त्रिवेदी को न उतारे तो राज्य सचिव फाल्गुनी पात्रा को ही उम्मीदवार बनाया जा सकता है। हालाँकि यहाँ से मनोज सिंह व रमेश हालदार का भी जिक्र आ रहा है। पर फाल्गुनी इन सब पर भरी पड़ेंगी।
भाटपाड़ा की बात करें तो यहाँ तृणमूल से जीतू साव उम्मीदवार हैं जो की आम लोगों के बहुत ही करीबी बताये जाते हैं। ये ऐसे शक्श हैं जो बिना रंग भेद के दिन रात लोगों के सेवा में ही मग्न रहते हैं। इनको जनता पर इतना ज्यादा भरोषा है की बिना कोई सुरक्षा गार्ड लिए अकेले अपने बाइक से पूरा भाटपाड़ा घूमते रहते हैं। इधर आज के भाटपाड़ा में भाजपा नए दौर के यानी तृणमूल से आये लोगों के हाथ में ही है। ऐसे में बात करें यहाँ की परिस्थिति की तो यहाँ जब लोग केशरी झंडा पकड़ने से भी कतराते थे तब संतोष सिंह ने थमा था भाजपा का दामन और निडर होकर मैदानी लड़ाई दिया था।
इसके वजह से काफी कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा था इनको। लेकिन ये सब हँसते हुए सहते रहे तथा मोदी गुण गाते रहे। ईमानदारी से बात की जाये तो आज बदले हुए परिस्थिति में पुराने व सच्चे सैनिको को पार्टी उचित सम्मान देना चाहे तो संतोष सिंह को ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए।
पर यहाँ अपने पिता के छोड़े हुए सीट पर मोदी लहार में उपचुनाव जीतकर बिधानसभा में पहुंचे पवन सिंह भी पुनः उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं।
जगदल की बात की जाये तो यहाँ से प्रबल दावेदार अरुण ब्रह्म तथा सौरव सिंह में उम्मीदवारी के लिए सीधे टक्कर है।
इस सीट पर आपसी प्रतिस्पर्धा ख़तम करने के लिये पार्टी ने किसी तीसरे को उम्मीदवार बनाने की योजना बनाई है। अगर फाल्गुनी पात्रा को नैहाटी में नहीं उतरा गया तो फिर वे
या तो उमाशंकर सिंह यहाँ से उम्मीदवार हों सकते हैं । जबकि माना यह भी जा रहा है की अर्जुन सिंह अरुण ब्रह्मं को समझने में कामयाब हुए तो सौरव सिंह ही यहाँ के उम्मीदवार हो सकते हैं।
नोआपरा की बात करें तो यहाँ पिछलीबार तृणमूल से हार चुकी मंजू बासु को तृणमूल ने मैदान में उतरा है अतः यहाँ भाजपा किसी नए उमीदवार यानि उमा शंकर सिंह को मौका दे सकती है।
कारन बिधानसभा के अधिवेशन के अंतिम दिन सुनील सिंह का ममता बनर्जी के साथ बैठक ने उनकी छबि पार्टी में ख़राब की है, तथा इसे सुनील द्वारा पार्टी पर दबाव बनाने वाला कदम माना जा रहा है,
और तो और प्रार्थी तालिका घोषणा के पहले ही सुनिल सिंह ने अपने फेसबुक प्रोफइल में “दादा टॉमके चाई” नमक पोस्टर दाल दिया था।
हालाँकि सुनील सिंह एक कर्मठ ब्यक्ति हैं तथा सहज रूप से आम लोगों में उपलब्ध होते हैं। वे काम से काम पवन सिंह के तरह रिजर्व नहीं रहते हैं। तो तर्क यह है की अगर पवन को उमीदवार बनाया गया तो सुनील को क्यों नहीं बनाया जाय।
अब बात करें बैरकपुर की तो यहाँ जनता के लाडले मनीष शुक्ला ही थे टिकट के मुख्य दावेदार।
पर उनके दर्दनाक हत्या के बाद यहाँ तृणमूल ने आरोप लगाया था की अपनी बेटी सुधा को बैरकपुर से टिकट दिलवाने के लिए, अर्जुन सिंह ने उनकी हत्या कराई है।जबकि इस मामले को CID गंभीरता से जाँच कर रही है। और अभी तक जिनकी भी गिरफ्तारी हुई है, अधिकतर लोगों का संपर्क तृणमूल से ही है।
यहाँ के अधिकतर लोग मनीष शुक्ला के पिता यानि चंद्रमणि शुक्ला को ही उमीदवार के रूप में देखना चाहते हैं।वै
वैसे भी यहाँ से तृणमूल उम्मीदवार बांग्ला फिल्म निर्माता राज चक्रबर्ती हैं। जो की खुद अपने पार्टी के स्थानीय नेताओं जैसे मुख्य रूप से उत्तम दास, ललन पासवान के नाराजगी जूझ रहे हैं। वैसे में अगर चंद्रमणि शुक्ला को भाजपा अपना चेहरा बनाये तो उम्मीद है की जनता उनको बिधानसभा भेज कर अपने लाडले मनीष को श्रद्धांजलि देंगे।
वैसे तो पुत्र पिता के सपनों को पूरा करता है पर शायद यहाँ ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर हैं।
बात करें आमडांगा की तो यहाँ से तृणमूल के बिदाई बिधायक को टिकट न मिलने से बगावत की स्थिति बानी हुई है तथा तृणमूल के नए उम्मीदवार साफ छबि के होने के बाबजूद यहाँ आपसी कलह मुश्किल खड़े कर रही है।
यहाँ से भाजपा उमीदवार के रूपों में अगर अल्पसंख्यक उमीदवार को टिकट देना मंजूर हो तो
Md Noor Islam का नाम सामने आ रहा है। ये रहा हमारा बिश्लेषण अब देखना है भाजपा आलाकमान क्या फैसला करती है। लेकिन इस बात पर कोई संदेह नहीं कि प्रार्थी सूची में सांसद अर्जुन सिंह की अहम भूमिका होगी।