24GhontaLive संवाददाता / राजीव गुप्ता / बैरकपुर / 7 जनवरी 2021 : राज्य में विधानसभा चुनाव ज्यों ज्यों नजदीक आ रहा है, राजनैतिक सरगर्मी भी उतना ही उफान पर है।
टिकट बंटवारे को लेकर लगभग राज्य की दोनों प्रमुख पार्टियां तृणमूल और भाजपा में जिस तरह राजनैतिक हलचल देखने को मिल रहा है, शायद कई महत्वपूर्ण उलटफेर भी देखा जा सकता है।
बात करें बैरकपुर लोकसभा क्षेत्र की तो यहां सबसे महत्वपूर्ण सीट है भाटपाड़ा ।
यहां भाजपा के ओर से कई नामों की सुगबुगाहट देखी जा रही है।
चलिए एक नजर उसपर भी दे देते हैं।
पहला नाम जो आ रहा है वो है वर्तमान विधायक पवन सिंह : राजनीति से अपरिपक्व लेकिन समाज के प्रति सेवा की भाव रखने, शांत स्वभाव, मधुर वाणी वाले, इस शिक्षित युवा व हैंडसम विधायक को राजनीति विरासत में मिली है। विरोधी कहते है की ये नाम के विधायक हैं, काम के नहीं।
पर ये भी जगजाहिर है कि अभी तक बंगाल की राजनीति में विरोधी खेमे के पार्षद या विधायक को कितना काम करने दिया जाता है।
अब पार्टी ही निर्णय लेगी की आगे इनको टिकट मिलना चाहिए या नहीं।
मुद्दा ये भी है कि इनके सांसद पिता अर्जुन सिंह खुद राज्य भाजपा के सह सभापति तो हैं ही। जिनका बंगाल भाजपा पर आज एक मजबूत पकड़ भी हैं।
तो यहां पवन के लिए उदाहरण ही काफी है कि : “जब सइयां भाए कोतवाल तो डर काहेका”
दूसरा नाम आ रहा है प्रियांगु पांडे का।
एक समय अर्जुन ब्रिगेड के सदस्य रहे ये जनाब अर्जुन सिंह से अनबन होने पर ही, बाहर से बाहर ही 2018 में भाजपा में आ गए थे तथा उनके खौफ से बाहर ही छीप कर रहते थे। करीब साल भर बाद 2019 में अर्जुन सिंह के भाजपा में आने के बाद ही वापस इलाके में लौटे थे।
वर्तमान में वास्तविकता यह है कि उनके पास पांच दस गिने चुने शिष्यों, एक बहुचर्चित अंग रक्षक के अलावा दो चार सौ लोगों को लेकर एक रैली निकालने की भी क्षमता नहीं ।
वे अपनी लोकप्रियता इस कदर खो चुके हैं कि हुगली में बेबी तिवारी के इलाके के अलावा बैरकपुर क्षेत्र के किसी भी खास सभा मंच पे उनको जगह नहीं मिलती।
इसके कई उदाहरण विद्यमान हैं।
पांडे जी को ये समझ नहीं आया कि राजनीति में कोई भी ना स्थाई मित्र होता है, ना दुश्मन ।
वे भाटपाड़ा में भाजपा की राजनीति करते हुए भी अर्जुन सिंह से दूरी बनाए रखें ।
शायद यही कारण है कि टिकट की चाह रखने वाले पांडे जी को नबद्विप जाने का टिकट कटवा दिया गया है।
तीसरा जो नाम है वो है संतोष सिंह का
तो : ऊपर आए दोनो नामों से ये भाजपा में सबसे पहले यानी 2017 से ही सदस्य है।
जिस वक्त पवन सिंह भाटपाड़ा में तृणमूल के प्रचार प्रसार में व्यस्त थे, प्रियंगु पांडे भाटपारा से बाहर शरण लिए फिरते थे, तब संतोष सिंह अकेले भाटपाड़ा में डटकर, अपनी व्यवसायिक व आर्थिक क्षति की परवाह किए बगैर जांबाज की तरह पार्टी का प्रचार प्रसार कर रहे थे। इनके बारे में पार्टी एकबार जरूर विचार कर सकती है।
अब बात करें वर्तमान में भाजपा की राजनीति में एक बड़ी चर्चा की तो वह जगदल विधानसभा क्षेत्र से टिकट पाने हेतु सशक्त दावेदार सौरभ सिंह की नाराजगी की।
काफी लंबे समय से भाटपारा जगतदल इलाके में सक्रिय इस युवा जन नेता के समर्थकों में काफी रोष दिखाई दे रहा है।
जहां 100 लोगों की भीड़ नहीं जुटा पाने वाले प्रीयंगु पांडे को राज्य युवा कमिटी में नाम मात्र ही सही एक पद दे दिया गया। वहीं हजारों हज़ारों की भीड़ जुटाने की क्षमता रखने वाले युवा दिल सम्राट सौरभ सिंह को, उनके समर्थकों के अनुसार आज पार्टी में नजरअंदाज का शिकार होते देखा जा रहा है।
इससे बिफरे सौरभ कुछ दिनों से बिल्कुल मौन है,
उनके समर्थक जगतदल विधानसभा से टिकट न मिलने की स्थिति में बगावत करने तक उतारू हो गए हैं।
उनके अनुसार पार्टी का कहना है कि सौरभ को भी टिकट मिलने से परिवारवाद का मामला गाहमाएगा।
पर सौरभ समर्थकों का तर्क है कि अगर अर्जुन पुत्र पवन को टिकट मिल सकता है तो सौरभ को क्यों नहीं ?
अब मामला यहां पर फसता हुआ दिखाई से रहा है।
हालांकि सौरभ अभी तक मौन है और
उनके समर्थकों के अनुसार सौरभ को तृणमूल के ओर से न्योता भी आ चुका है और कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले 9 तारिक को ही गोलघर में होने वाले तृणमूल के सभा मंच से ही सौरभ सिंह सुजाता मंडल की रह पकड़ेंगे।
अब केवल आगे आगे देखना है कि, होता है क्या !